Monday, November 14, 2011

Hindi Ghazal- Musafir Hai Hum to Chale Jaa Rahe Hai

hindi poem

मुसाफ़िर हैं हम तो चले जा रहे हैं बड़ा ही सुहाना ग़ज़ल का सफ़र है।
पता पूछते हो तो इतना पता है हमारा ठिकाना गुलाबी नगर है।

ग़ज़ल ही हमारा अनोखा जहाँ है ग़ज़ल प्यार की वो हसीं दासताँ है।
इसे जो भी सुनता है, वो झूमता है वो जादू है इसमें कुछ ऐसा असर है।

hindi ghazal
ना कोई थकन है, न कोई ख़लिश है मोहब्बत की जाने ये कैसी कशिश है।
जिसे देखिए वो चला जा रहा है, जहान-ए-ग़ज़ल की सुहानी डगर है।

वली, मीर, मोमिन ने इसको निखारा जिगर, दाग़, ग़ालिब ने इसको सँवारा।
इसे मोसिक़ी ने गले से लगाया ग़ज़ल आज दुनिया के पेश-ए-नज़र है।

यही है हमारा ताल्लुक़ ग़ज़ल से हम इसके लिए ये हमारे लिए है।
ये अपनी कहानी ज़माने में ‘हसरत’ सभी को पता है, सभी को ख़बर है

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16 comments:

  1. वाह ... हसरत जयपुरी जी की यादगार ग़ज़ल

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  2. बहुत अच्छा

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  3. Thank you for this gajal ke liye

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  4. Har roj sunta hun ye song

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  5. Thank you veru much for the lyrics

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  6. 🙏🌹आपने ग़ज़ल को जान (प्राण) दे दी है।

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  7. 🙏🌹आपने ग़ज़ल को जान दे दी है।

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